August 26, 2017

कंचन : बेटी बहन भाभी से बहू तक का सफ़र - 13

मैं समझ गयी, ज़रूर वो कोई गंदा नॉवेल पढ़ रहा था. मैं उसके कमरे में गयी. मुझे देख कर वो नॉवेल च्छुपाने की कोशिश करने लगा. मैने उसकी ओर जाते हुए पूचछा,

“ विकी क्या पढ़ रहा है?”

“ कुच्छ नहीं दीदी ऐसे ही”

“ मुझे दिखा क्या है.”

“ नहीं दीदी क्या देखोगी, ये तो हिस्टरी की किताब है.”

मैने झपट्टा मार के विकी से किताब छ्चीन ली. विकी ने वापस किताब छीनने की कोशिश की लेकिन में अपने कमरे में भाग गयी और अंडर आके लाइट बंद करके एक कोने में छिप गयी. विकी भी मेरे पीछे भागा. कमरे में आके जब उसकी आँखें अंधेरे में अड्जस्ट हुई तो उसने मुझे कोने में च्छूपा देख लिया और मेरे साथ छीना झपटी करने लगा. उसने किताब वापस छीन ली. मैने उसे ज़ोर से धक्का दे के अपने बिस्तेर पे गिरा दिया और उसके सीने पे चढ़ बैठी. विकी चित पड़ा हुआ था. मेरा गाउन छ्होटा सा तो था ही उसके ऊपर बैठने के कारण सामने से खुल गया. मेरी नंगी चूत विकी के सीने से टच करने लगी, लेकिन अंधेरा होने के कारण वो देख नहीं सका. मैने विकी को गुदगुदाना शुरू कर दिया और थोड़ा सा सरक के नीचे की ओर हो गयी. नीचे की ओर सरकने से विकी का लंड मेरे भारी नितंबों के नीचे दब गया. ऊऊफ़! उसका लंड मेरे नंगे चूतरो के नीचे बिल्कुल नंगा था! शायद छ्चीना झपटी में विकी की लूँगी खुल गयी थी. लंड खड़ा होने लगा था लेकिन बेचारा मेरे भारी चूतरो के नीचे दबे होने का कारण उसके पेट से चिपका हुआ था. बाप रे! इतना लंबा था कि उसकी नाभि तक पहुँच रहा था. मैं सोचने लगी कि जो लॉडा इसकी नाभि तक पहुँच रहा है वो तो मेरी चूत फाड़ के छाती तक घुस जाएगा. अब तो चाहे चूत फॅट जाए मैने चुदवाने की ठान ली थी. मेरा बदन वासना की आग में जलने लगा. इतने मोटे लंड का स्पर्श पा कर मेरी चूत रस छ्चोड़ने लगी. मैं विकी को गुदगुदाने के बहाने उसके ऊपर आगे पीछे होने लगी और उसके मूसल को अपने चूतरो की दरार में रगड़ने लगी. कभी थोडा आगे झुक जाती तो उसका मोटा लॉडा मेरी चूत की दोनो फांकों के बीच फँस जाता और गीली चूत उसके लंड पे रगड़ जाती. मेरी चूत के रस से उसका लॉड के नीचे का भाग बॉल्स से ले कर सुपरे तक गीला हो गया था. अब तो मैं उसके लंड पे आगे पीछे फिसल रही थी. बहुत मज़ा आ रहा था. बड़ा ही मादक खेल था. अकसर उसके लंड का सुपरा मेरी चूत के होंठों को चूम लेता और छेद में दाखिल होने की कोशिश करता. विकी ने जिस हाथ में किताब पकड़ रखी थी उसने उस हाथ को अपने सिर के ऊपर सीधा कर रखा था जिससे वो मेरी पहुँच से बाहर हो गया था. किताब तक पहुँचने के लिए आगे सरकना ज़रूरी था. ये तो बहुत अच्छा मोका था. आगे सरकने के बहाने मैं अपनी चूत विकी के मुँह पे रगड़ सकती थी. मुझे अच्छी तरह याद था जब पिच्छली बार मैने अपनी चूत विकी के मुँह पर रगडी थी. लेकिन उस वक़्त मैने पॅंटी पहनी हुई थी. किताब छ्चीनने के बहाने मैं तेज़ी से आगे की ओर हुई. अब मेरी चूत ठीक विकी के मुँह के ऊपर थी. मैने झपट्टा मारा और उसके हाथ से किताब छ्चीनने के बहाने उसके मुँह पर गिर गयी. ऊऊओफ़! मेरी नंगी गीली चूत विकी के होंठों से चिपक गयी. मैने अपनी चूत को 5 सेकेंड तक विकी के मुँह पर ज़ोर से दबा दिया. मेरी चूत इतना रस छोड़ रही थी कि विकी के होंठ और मुँह गीले हो गये. ये ही नहीं मेरी झाँटें भी उसके मुँह में घुस गयी. विकी हड़बड़ा गया और मैं किताब छ्चीनने में कामयाब हो गयी. किताब छ्चीन के मैं जैसे ही उठने लगी विकी ने मुझे गिरा लिया और मेरे ऊपर चढ़ बैठा. अब मैं पेट के बल पड़ी हुई थी और विकी मेरी पीठ पर बैठा हुआ था. मैने किताब को अपने नीचे दबा लिया. विकी हांफता हुआ बोला,

“ दीदी किताब दे दो नहीं तो छ्चीन लूँगा.”

“ अरे जा, जा. इतना दम है तो छीन ले.” मैं उसे चिड़ाती हुई बोली.

किताब छीनने के चक्कर में सरक कर मेरी टाँगों के बीच में आ गया. उसका तना हुआ लंड मेरे चूतरो से टकराने लगा. वो मुझे गुदगुदी करने लगा और मैं च्चटपटाने लगी. ऐसा करते हुए उसका लंड कभी मेरे चूतरो की दरार में घुस जाता तो कभी मेरी चूत पे रगड़ जाता. मैं तो अभी से झरने वाली हो रही थी. अब तो खेल और भी मादक हो गया था. हम दोनो ही अंजान बने हुए थे. इस छीना झपटी में मेरा गाउन तो खुल ही गया था, शायद विकी की लूँगी भी खुल चुकी थी. अंधेरा होने के कारण सॉफ दिखाई नहीं दे रहा था. मैं अचानक झटके से सीधी हो कर पीठ के बल हो गयी. गाउन सामने से पूरा खुल कर हट गया. विकी मेरे ऊपर चढ़ा हुआ था और मैं उसके नीचे बिल्कुल नंगी थी. मैं भी विकी को गुद गुडी करने लगी. अंधेरे में कुच्छ दिख तो नहीं रहा था लेकिन शायद अब तो विकी भी बिल्कुल नंगा था. छ्चीना झपटी का नाटक करते हुए मैने विकी को अपनी टाँगों के बीच में दबा लिया.

“अब बोल नालयक! कहाँ बच के जाएगा? इतनी कमज़ोर नहीं हूँ.”

“ अच्छा दीदी, अभी आपको मज़ा चखाता हूँ.” ये कह के अपने आप को छुड़ाने के लिए उसने मेरी टाँगें चौड़ी कर दी. टाँगें चौड़ी होते ही उसका तना हुआ लॉडा मेरी चूत से रगड़ने लगा. मेरी चूत बुरी तरह से गीली थी. रस बाहर निकल के मेरी झांतों को गीला कर रहा था. मैने उसकी गुदगुदी से बचाने का बहाना करते हुए टाँगों को मोड़ के अपने सीने से चिपका लिया. ऐसा करने से मेरी फूली हुई चूत की दोनो फाँकें चौड़ी हो गयी और उसके बीच के होंठ खुल गये. ये तो चुदाई की मुद्रा थी. इसी मुद्रा में तो औरत अपनी चूत मर्द के लंड को सोन्प देती है. अब मैने अपने आप को विकी के नीचे इस तरह से अड्जस्ट किया कि विकी के लंड का सुपरा मेरी चूत के छेद पे टिक गया. मैं सिहर उठी. इसी पल का तो बरसों से इंतज़ार था.

“ विकी मुझ में इतना दम है कि तुझे एक ही झटके में उठा के फेंक दूं.”

“ अच्छा दीदी! इतना दम कहाँ से आ गया? ज़रा फेंक के तो दिखाओ.”

“ तो ये ले.” मैने अपने चूतर ऊपर की ओर उच्छालते हुए कहा. विकी के लंड का सुपरा मेरी बुरी तरह गीली चूत के मुँह पे तो था ही, इस धक्के के कारण फ़च से एक इंच अंडर घुस गया. मेरे मुँह से बड़ी ज़ोर से चीख निकलने वाली थी. मैने बड़ी मुश्किल से अपने आप को संभाला. मेरी चूत का छेद इतने मोटे लंड के अंडर घुसने के कारण बुरी तरह चौड़ा हो गया था. मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धक धक करने लगा. मैं घबरा गयी. हाई राम कहीं चूत फॅट ही ना जाए!

“ बस दीदी इतना ही दम है?” विकी मुझे और ज़ोर से गुदगुदाने लगा. शायद विकी को पता नहीं था कि उसका लॉडा मेरी चूत में दाखिल हो चुका था. उसने कभी किसी लड़की को आज तक चोदा तो था नहीं. मैने भी उसकी नादानी का फ़ायदा उठाया और अपने चूतर उछाल उच्छाल के उसे अपने ऊपर से गिराने का नाटक करने लगी. ऐसा करने से धीरे धीरे विकी का लंड 3 इंच मेरी चूत में उतर चुका था. मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे मेरी चूत में किसीने पेड का तना घुसेड दिया हो.विकी को भी अजीब सा महसूस हो रहा था लेकिन अभी तक उसे समझ नहीं आया था कि क्या हो रहा है.

“ दिखाओ दीदी हमे भी तो अपना दम दिखाओ. या फिर सारा दम निकल गया? किसी ऐसे वैसे मर्द से पाला नहीं पड़ा है ” विकी मुझे चिड़ाते हुए बोला. मैने पूरी ताक़त से विकी को गिराने का बहाना करते हुए अपने चूतर ऊपर उच्छाल दिए,

“ अच्छा तो ये ले….आाआआईयईईईईईईईईईईईईईई… ऊऊओिइ. एम्म आआआआआ........ मार गयीईईईई…ये क्या कर रहा है बेशरम आआआआहह.” इस ज़बरदस्त धक्के से विकी का मूसल 6 इंच मेरी चूत में धँस गया. विकी के मोटे लंड ने मेरी चूत इतनी ज़्यादा चौड़ी कर दी की फटने को हो रही थी. लोगों का पूरा लंड ही 6 इंच लंबा होता है, इसका तो आधा ही लंड अभी मेरी चूत में घुसा था! हाई राम! पूरा घुस गया तो क्या होगा? मेरी चीख सुन के विकी बुरी तरह घबरा गया,

“ क्या हुआ दीदी?”

“ इसस्स्स्सस्स………अंजान बनता है …….आआआआः. तुझे शरम नहीं आती मैं तेरी दीदी हूँ. तेरी सग़ी बेहन हूँ.ऊऊऊफ़, मर गयीईईईईई….इससस्स” ये कहते हुए मैने विकी का लंड पकड़ लिया और बिस्तेर के पास रखे टेबल लॅंप को ऑन कर दिया. लंड तो मैने इसलिए पकड़ लिया कि कहीं वो घबरा के बाहर ना निकाल ले, लेकिन नाटक ऐसा किया जैसे मैं उसके लंड को और अंडर घुसने से रोक रही हूँ. लाइट ऑन होते ही मुझे अपने नीचे नंगी देख कर विकी के होश उड़ गये. वो हकलाता हुआ बोला,

“ ये क्या दीदी आप के कपड़े…?”

“ चुप, बेशरम! भोला बनता है. गुदगुदी करने के बहाने मेरा गाउन खोल दिया. मुझे पता ही नहीं चला तूने अपनी लूँगी कब उतारी. अपनी दीदी के साथ बलात्कार कर रहा है अंधेरे का फ़ायदा उठा कर.”

“ नहीं दीदी आपकी कसम…..” विकी बुरी तरह घबराया हुआ था.

“ बकवास मत कर. मैं सूब समझती हूँ. ये क्या किया तूने ?” मैं अपनी टाँगें खूब चौड़ी करके उसके लंड को दबाती हुई बोली. पहली बार उसने नीचे की ओर देखा. अभी तक तो उसकी नज़रें मेरी चूचिओ पर लगी हुई थी. मेरी फैली हुई टाँगों के बीच के घने जंगल में अपना लंड मेरी चूत में फँसा हुआ देख कर और भी घबरा गया और लंड को बाहर खींचने की कोशिश करने लगा. इसीलिए तो मैने उसका लंड पकड़ रखा था.

“ दीदी सच मुझे नहीं पता ये कैसे हो गया. मैं तो आपके साथ खेल रहा था.”

“ क्यों झूट बोल रहा है. अगर तेरे मन में कोई खोट नहीं था तो तेरा ये खड़ा कैसे हो गया?” मैने फिर से उसका लंड दबाते हुए पूछा.

“ सच दीदी आपकी कसम, मुझे कुच्छ पता नहीं चला.”

“ नाटक करना बंद कर. ये खड़ा हो गया, तूने अपनी दीदी को नंगी कर दिया और इसे मेरे अंडर भी घुसेड दिया और तुझे पता ही नहीं चला? तेरे मन में हमेशा से ही खोट था. तू क्या समझता है मुझे कुच्छ पता नहीं? परसों जब मैं तेरे बाथरूम से नहा के आई, उसके बाद तूने मेरी पॅंटी के साथ क्या किया था?”

“ ज्ज्जीए, दीदी आपको कैसे पता?”

“ मुझे सब पता है. मुझे ये भी पता है कि तूने दरवाज़े में छेद कर रखा है और मेरे कमरे में झाकता है. सच बता तूने अभी तक क्या देखा है?”

“ सच दीदी मैने कुच्छ भी नहीं देखा.”

“ देख विकी, अगर झूट बोलेगा तो जो तूने आज मेरे साथ किया है मैं मम्मी को बता दूँगी.तुझे मेरी कसम सच सच सब कुच्छ बता दे. मुझे पता है तेरी उम्र में लड़के छुप छुप के लड़कियो को देखने की कोशिश करते हैं. सच बोलेगा तो माफ़ कर सकती हूँ.”

“ प्रॉमिस करो कि आप मम्मी से शिकायत नहीं करोगी.”

“ प्रॉमिस. लेकिन जो पूछुन्गि उसका सच सच जबाब देना. झूट बोला तो शिकायत कर दूँगी.”

“ ठीक है दीदी, मैं आपको सब बता दूँगा.”

“ तो बता, तुझे मेरी पॅंटी अच्छी लगती है?”

“ जी दीदी, बहुत अच्छी लगती है.”

“लेकिन मेरी अलमारी से तो तूने कभी मेरी पॅंटी निकाली नहीं.”

“ वो तो सब धूलि हुई पॅंटीस हैं ना.”

“ ओ ! तो तुझे पहनी हुई पॅंटी अच्छी लगती हैं?”

“जी.”

“ क्यों, मेरी पहनी हुई पॅंटी में ऐसा क्या है?”

“ उसमें आपकी …. उम्म… वो चीज़ च्छूपी होती है ना.” विकी शरमाता हुआ बोला.

“ वो चीज़ क्या?”

“ प्लीज़ दीदी …… आपको पता तो है.”

“ मैं तेरे मुँह से सुनना चाहती हूँ. नहीं बताना है तो बोल.”

“ नहीं नहीं दीदी ऐसी बात नहीं है. मेरा मतलब था कि आपकी पॅंटी में आपके टाँगों के बीच की चीज़ च्छूपी होती है इसलिए.”

“ टाँगों के बीच की क्या चीज़?”

“ ओफ दीदी! आपकी …..उम्म….बहुत गंदा शब्द है, बोला नहीं जा रहा.”

“ ये सब करते हुए शर्म नहीं आई अब बोलने में शर्म आ रही है. बोलता है या फिर…?”

“ दीदी प्लीज़! मेरा मतलब है आपकी वो… वो… उम्म….उम्म.. च… चू…….चूत.” विकी बुरी तरह शरमाता हुआ बोला.

“ ओह! तो चूत बोलने में इतनी शर्म आ रही है जनाब को.”

“ दीदी आपके सामने ऐसे शब्द कैसे बोल सकता हूँ?”

“ अच्छा ! दीदी की चूत देखने में तो शर्म आई नहीं , चूत बोलने में बड़ी शरम आ रही है. लेकिन पॅंटी को सूंघ क्यों रहा था?”

“ बस वैसे ही.”

“ वैसे ही ? पॅंटी कोई सूंघने की चीज़ है? या कोई खुशबूदार चीज़ है ?”

“ बहुत खुशबूदार चीज़ है दीदी. उसमे आपकी खुश्बू आती है.”

“ मेरी खुश्बू तो मेरे दूसरे कपड़ो में भी होती है.”

“ नहीं दीदी आपकी च….छ्च ….चूत की महक तो आपकी पॅंटी में ही आएगी ना.”

“ ओ ! तो तुझे मेरी चूत की महक बहुत पसंद है ? चल, सूंघने तक तो ठीक है लेकिन उसके बाद तूने क्या किया ?”

“ जी, उसके बाद मैने पनती को अपनी टाँगों के बीच में जो होता है उसके ऊपर रग्रा.”

“ फिर वोही बात. टाँगों के बीच में क्या होता है?”

“ आपको पता तो है.”

“ नहीं मुझे क्या पता लड़के उसे क्या बोलते हैं?”

“ दीदी उसे लंड बोलते हैं.” विकी शरमाता हुआ बोला.

“ अच्छा तो उसे लंड बोलते हैं. लंड के ऊपर रगड़ने में मज़ा आता है?”

“ दीदी बहुत मज़ा आता है. एक तो पॅंटी का कपड़ा इतना मुलायम होता है और फिर ये सोच के कि जो पॅंटी अभी अभी आपकी चूत पर थी अब मेरे लंड पर है. आपकी चूत का ध्यान करके लंड पे पॅंटी रगड़ने में बहुत ही मज़ा आता है. ”

तब तो तूने मुझे नंगी भी ज़रूर देखा होगा?”

“ सिर्फ़ आपकी शादी के बाद. अभी कुच्छ दिन पहले उस दरवाज़े के छेद में से आपको कई बार पूरी तरह नंगी देख चुक्का हूँ. लेकिन जब आप खड़ी हुई होती हो तब आपकी चूत आपकी झांतों से धक जाती है.”

“ अच्छा तो ट्रेन के बाद मेरी चूत के दर्शन नहीं कर सका?”

“ नहीं दीदी अभी दो दिन पहले आप सिर्फ़ पेटिकोट और ब्लाउस में लेटी नॉवेल पढ़ रही थी. पेटिकोट आपकी जांघों तक उठा हुआ था. आपने टाँगें चौड़ी कर रखी थी. मैं दरवाज़े के छेद में से झाँक रहा था. पॅंटी पहनना तो शायद आपने छोड़ ही दिया है. आपकी गोरी गोरी टाँगों के बीच में से एक बार फिर आपकी चूत के दर्शन हो गये. लेकिन शादी से पहले और शादी के बाद आपकी चूत में बहुत फरक हो गया है.”

“ क्यों ऐसा क्या फरक देख लिया तूने?”

“ आपकी चूत पहले से ही फूली हुई थी लेकिन अब शादी के बाद तो किसी डबल रोटी से भी ज़्यादा फूल गयी है. चूत के होंठ भी बड़े बड़े लग रहे थे और कुच्छ ज़्यादा ही खुले हुए नज़र आ रहे थे. ऐसा क्यों हो गया दीदी?”

“ तू भूल गया मेरी शादी को दो साल हो चुके हैं, और तेरे जीजाजी का लंड ख़ासा मोटा है. दो साल तक मोटे लंड से चुदवाने के बाद चूत चौड़ी नहीं होगी तो और क्या होगा?” मेरे मुँह से ‘चूत’, ‘लंड’ और ‘चुदाई’ जैसे शब्द सुन के विकी का लंड फंफनाने लगा था. उसकी शरम अब ख़त्म हो गयी थी. मैने उसके लंड को सहलाते हुए पूचछा,

“पहले मेरी चूत ज़्यादा अच्छी लगती थी कि अब शादी के बाद?”

“ दीदी मुझे तो आपकी चूत हमेशा ही अच्छी लगती है, लेकिन शादी के बाद और भी खूबसूरत हो गयी है.”

“ कभी किसी को चोदा है तूने?”

“ नहीं दीदी अपनी ऐसी किस्मत कहाँ.”

“ किसी दूसरी लड़की की चूत तो ज़रूर देखी होगी? तान्क झाँक करने की आदत तो है ही तेरी.”

“ आपकी कसम दीदी आपके सिवा आज तक किसी लड़की की चूत भी नहीं देखी. सिर्फ़ फोटो में देखी है.”

“ क्यों सुधीर की बेहन की चूत नहीं देखी?”

“ नहीं दीदी. वो पहले आपकी पॅंटी माँग रहा था.”

“ अक्च्छा, कभी अपनी दीदी को चोदने का दिल किया तेरा?”

“ कैसी बातें कर रही हो दीदी. मैं तो ऐसा सपने में भी नहीं सोच सकता. आप तो मेरी सग़ी बेहन हो.”

“ फिर झूट बोला. मुझे नंगी देखने के लिए दरवाज़े में छेद किया, मेरी पॅंटी को सूँघता है और लंड पे रगड़ता है, तब मैं तेरी बहन नहीं हूँ?”

“ बेहन को नंगी देखना और बात है और सुचमुच चोदना दूसरी बात है.”

“ और बेहन की चुदाई देखना?”

“ क्या मतलब आपका दीदी?”

क्रमशः.........

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